सासाराम ट्रेन में मिली देसी गर्ल को होटल में चोदा

时间:2023-09-25 16:34:26来源:शिव चालीसा पढ़ने के फायदे作者:आईपीएल लाइव स्कोर टुडे
मेरी तरफ से अन्तर्वासना के सभी पाठकों को नमस्कार!दोस्तो.. अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज एक ऐसी साइट है जहाँ दिल कुछ ऐसा लग गया है कि आज मुझे भी अपने हाल ए दिल बताने पर मजबूर होना पड़ा।मेरा नाम प्रीतम (बदला हुआ) है। मेरी हाईट 5 फुट 6 इंच है.. मैं दिखने में थोड़ा सांवला हूँ.. पर लड़कियां मुझे बहुत पसंद करती हैं।मैं बिहार से हूँ.. पर अभी पंजाब में जॉब करता हूँ।बात 2010 की है.. जब मेरा बिहार पुलिस का एग्जाम सासाराम में पड़ा। मेरे साथ मेरे दो दोस्त और भी थे.. समीर और माही.. हम तीनों सासाराम गए हुए थे।पेपर देने के बाद जब हम लौटने के लिए ट्रेन पकड़ने गए.. तो स्टेशन पर बहुत भीड़ थी।हम ट्रेन के आने का वेट कर रहे थे.. तो पीछे से किसी लड़की की आवाज़ आई ‘सुनिए..’मैंने पलट कर देखा तो देखता ही रह गया.. क्या मस्त लड़की थी.. उसकी उम्र 18 से 19 साल की रही होगी।मैं उसे देखता ही रहा।वो फिर से बोली- कहाँ खो गए आप?सासारामट्रेनमेंमिलीदेसीगर्लकोहोटलमेंचोदामैंने कहा- हाँ बोलिए..उसने कहा- बहुत भीड़ है.. क्या आप मेरे लिए भी एक सीट रोक लेंगे?मैंने कहा- देखता हूँ.. भीड़ वास्तव में बहुत है।तभी ट्रेन का आने की सूचना हुई और थोड़ी देर में ट्रेन आती हुई दिखने लगी।मैं भी लड़की को पास में बैठने के चक्कर में पटरी के दूसरी तरफ चला गया। मेरे दोस्त दूसरी तरफ से सीट के लिए जद्दोजहद कर रहे थे।ट्रेन आ गई.. भीड़ पटरी के दूसरी तरफ भी थी। मैं लपक कर अन्दर घुसा और दो सिंगल सीट रोक लीं और उस लौंडिया का वेट करने लगा।तभी मेरे सामने वाली सीट पर नज़र पड़ी.. मैंने देखा वो पहले से ही वहाँ बैठी है। उसने भी मुझे देखा और स्माइल पास कर दी।तभी ट्रेन चल दी.. मैं उसे देखे जा रहा था.. वो भी कभी-कभी मुझे देख रही थी। मैं उससे बात करना चाहता था.. पर भीड़ बहुत ज्यादा थी.. कोई बात बन ही नहीं रही थी।दो घंटे में सफ़र खत्म होने वाला था। मैं सोच रहा था कि कहीं से इसका नम्बर मिल जाता तो बाद में भी इससे संपर्क बना रहता।फिर देखते ही देखते 2 घन्टे कब बीत गए.. पता ही नहीं चला। अब मेरा स्टेशन आ गया था तो दु:खी मन से मैं उतरा और अपने दोस्तों के आने का वेट करने लगा।तभी मैंने देखा कि वो भी उतर गई और उसके साथ एक औरत भी थी। मैंने सोचने लगा यह तो ठीक ही रहा कि ये भी मेरे इलाके की है। पर अब क्या करूँ कैसे बात करूँ.. फिर वो वहीं प्लेटफार्म पर बैठ गई।मुझे अब निकलना था, मेरे फ्रेण्ड भी आ गए थे, मैंने कलम निकाली और एक कागज़ पर अपना नम्बर लिखकर उसके पास जाकर गिरा दिया और चला गया।उसने गिरते हुए कागज को देख लिया था।घर आकर मैं उसके बारे में ही सोचता रहा और इस तरह 3 दिन बीत गए। अब तो उम्मीद भी खत्म हो चुकी थी कि उससे कभी मिल पाऊँगा।अगले दिन शाम का समय था, मैं टहल रहा था कि मेरा मोबाइल बज़ा.. मैंने कॉल उठाई- हैलो कौन?आवाज़ आई- पहचानिए?मैंने कहा- मेरे नम्बर पर किसी लड़की का कॉल नहीं आता है अगर मैं ग़लत नहीं हूँ.. तो क्या हम ट्रेन में मिले थे वही हैं?तभी वो हँसने लगी और मानो तो पतझड़ में बहार आ गई हो।उससे मेरी बात हुई।‘हाय.. आपका नाम?’उसने अपना नाम संज्ञा बताया वो हमारे जिले में ही बी.ए. का एग्जाम देने आई थी। उसने बताया- मैं यहाँ अपने रिश्तेदार के घर हूँ अभी मैं 7 दिन और रुकने वाली हूँ।मैं उसकी बात सुन कर खुश हो गया और उससे अभी कुछ पूछता कि वो आगे बोलने लगी।उसने कहा- इस कॉलेज में कल मेरा पहला पेपर हिस्टरी का है।मैं उसी कॉलेज का स्टूडेंट था, मैंने उसे बताया और कहा- ओके तो कल कॉलेज में तुमसे मिलता हूँ।उसने कहा- हाँ ठीक है अब फोन रखती हूँ।उसने फोन रख दिया।अब तो मेरा मन आकाश की ऊँचाइयों में उड़ रहा था। आलम ये था कि रात खत्म ही नहीं हो रही थी.. बस सुबह का इंतजार था।एक बज चुके थे.. पर नींद का पता नहीं था। फिर कब सो गया.. पता भी नहीं चला। सुबह आँख खुली तो 8 बज चुके थे। मैं जल्दी से फ्रेश हुआ और कॉलेज के लिए निकल गया।तभी संज्ञा का कॉल आया- आप आ रहे हो?मैंने कहा- मैं आ गया हूँ.. कहाँ हो आप?बोली- बस गेट मैं घुस ही रही हूँ।मैं थोड़ा आगे था.. मैं उसकी राह देखने लगा कि वो किधर से आ रही है।हमारी नज़रें मिलीं और क्या बताऊँ क्या हसीन लग रही थी वो.. मेरा मन तो कर रहा था कि अभी दौड़ कर उसे अपनी बांहों में भर लूँ।तभी उसने दूर से मस्त स्माइल के साथ ‘हाय..’ किया और मेरे नजदीक आकर मुझसे हाथ मिलाया।उससे मैंने थोड़ी देर बात की और तभी उसके पेपर का टाइम हो गया था।मैंने उससे कहा- ओके.. आप पेपर दे दो.. मैं आपका वेट करूँगा।उसने कहा- नहीं.. आप चले जाईए परेशान मत होइए।मैंने कहा- इसमें परेशानी की क्या बात है.. ये तो मेरे लिए ख़ुशी की बात है.. बेस्ट ऑफ लक।वो तिरछी नज़रों से देखते हुए चली गई।तीन घंटे के बाद उसका पेपर खत्म हुआ मैं उसे वहीं मिला।उसके आते ही मैंने पूछा- कैसा रहा?बोली- एकदम मस्त।मैंने उससे पूछा- कल किस सबजेक्ट का है?तो बोली- कल नहीं है।मैं कुछ मायूस हुआ तो उसने कहा- कल मूवी देखें?मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे, मैंने ‘हाँ..’ में सिर हिला दिया।मैंने उससे कहा- चलो मैं छोड़ देता हूँ।मेरे साथ मेरे बाइक पर बैठ गई। भीड़ बहुत थी.. बार-बार ब्रेक लगाना पड़ रहा था। इससे उसके चूचे मेरी पीठ से टच हो रहे थे और मेरा हाल बुरा हो रहा था, उसको भी इस बात का अहसास हो चला था।हम दोनों बातें भी कर रहे थे।तभी मेरे मुँह से निकल गया- संज्ञा तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?उसने कहा- घर जाकर जवाब दूँगी.. अभी सामने देखो।मैंने उसे उसकी गली में छोड़ दिया और घर चला गया।रात मैं उसका मिस कॉल आया। मैंने तुरंत पलट कर लगाया।‘क्या हुआ.. सो गए हो क्या?’मैंने कहा- नहीं जी.. आप सोने कहाँ देती हो।उसने हँस कर कहा- मैंने क्या किया?मैंने कहा- आपने कहा था.. घर जाकर जवाब देते हैं.. तो मैं सो कैसे जाता?वो हँसने लगी और बोली- नहीं.. मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है।मैंने कहा- मैं क्या हूँ?बोली- आप मेरे बेस्ट फ्रेंड हो.. अच्छा बताओ कल कबी मूवी देखने जाना है?मैंने कहा- आप 9 बजे सुबह रेडी रहना।बोली- ओके।फिर उससे थोड़ी देर बात हुई और ‘गुडनाइट’ विश करके मैं सो गया।सुबह संज्ञा का कॉल आया- जाग जाओ मूवी नहीं दिखाना क्या?मैं उसकी आवाज़ सुनते ही उठ कर बैठ गया और कहा- तुम रेडी हो जाओ.. मैं आता हूँ।मैं फ्रेश होकर तय स्थान पर पहुँच गया।आज तो वो कयामत ढा रही थी, पिंक टॉप और ब्लैक जीन्स.. तने हुए चूचे तो कह रहे थे.. देखते क्या हो आओ.. और चूस लो।मैंने कह ही दिया- संज्ञा तुम्हें देखकर मन कर रहा है.. कि तुझे अपनी दुल्हन बना लूँ।उसने शर्म से आँखें झुका लीं और बोली- चलें।मैंने कहा- बैठ जाओ।आज वो अपने पैर दोनों तरफ करके बैठी थी और उसके चूचे मेरे पीछे चिपके हुए थे। मैं पागल हो रहा था.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। हम सिनेमा हाल के पास पहुँचे.. भोजपुरी मूवी लगी थी।मैंने बॉक्स के टिकट लिए और अन्दर आ गए। मूवी शुरू हुई.. पवन सिंह की मूवी थी। भोजपुरी मूवी में रोमान्स के सीन बहुत होते हैं। हम दोनों बहुत मज़े के साथ देख रहे थे। हँसते हुए एक-दूसरे के जिस्मों को छू भी रहे थे। हम दोनों के हाथ एक-दूसरे के हाथों में थे।तभी मूवी में एक किसिंग सीन आ गया। हमारे हाथ एक-दूसरे के हाथ में थे.. उसने मेरा हाथ ज़ोर से पकड़ लिया।मैंने भी देर ना करते हुए उसे अपनी ओर खींचा और उसके होंठों पर किस कर दिया। वो मुझे देखने लगी और फिर उसने भी मुझे चुम्मी कर दी।बस फिर क्या था.. हम दोनों मूवी छोड़ कर किस करने लगे। मैंने अपना हाथ उसके मम्मों पर रख दिया और दबाने लगा। वो और मेरे करीब आ गई और साथ देने लगी।मैंने धीरे से कहा- होटल में चलें?उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया।हम दोनों बाहर निकल आए और एक होटल में चले गए, मैंने एक रूम ले लिया।कमरे में अन्दर जाते ही हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे, हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था।धीरे से मैंने उसके टॉप को निकाल दिया। पिंक कलर की ब्रा में कैद उसके मम्मों को नजर भर कर देखा.. आह्ह.. क्या मस्त लग रहे थे।मैंने ब्रा के ऊपर से ही मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। मैं कभी मम्मों को दबाता.. तो कभी उन पर किस करता। फिर हम दोनों एक-दूसरे के कपड़े उतारने लगे।उसकी ब्रा को भी मैंने उतार दिया और उछलते मम्मों को पकड़ कर चूसने लगा। वो सिसकारियां भरने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’मैंने धीरे से उसकी जीन्स का बटन भी खोल दिया.. उसने मेरा सहयोग करते हुए जीन्स को अपने जिस्म से अलग हो जाने दिया।अब वो मेरे सामने बस एक ब्लैक कलर की पैंटी में थी। मैंने अपना हाथ उसकी बुर पर डाला.. उसकी चूत गीली हो गई थी। मैं उसकी चूत के ऊपर ही हाथ घुमाने लगा। वो और ज़ोर-ज़ोर से सीत्कार करने लगी ‘आह.. आहह.. आओउ.. आह.. आह..’फिर उसने मेरा पैंट उतार दिया और मेरे लंड को पकड़ा और छोड़ दिया।मैंने कहा- क्या हुआ?बोली- बहुत बड़ा है।मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.. तुम इसे प्यार करो.. यह तुम्हें बहुत मज़ा देगा।मेरा लंड औसत से लम्बा और मोटा है।उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और हिलाने लगी। मैं तो स्वर्ग में पहुँच गया था। फिर हम दोनों बिल्कुल नंगे हो गए। उसकी बुर पर हल्के हल्के बाल आए हुए थे, एकदम मस्त चूत लग रही थी।फिर मैं उसकी चूत में एक उंगली डालने लगा। उसे दर्द हुआ तो वो पीछे हट गई।मैंने कहा- कुछ नहीं होगा।वो बोली- दर्द हो रहा है।मैंने उसे लेटा दिया। फिर उसकी रसीली बुर पर मुँह लगा दिया और चाटने लगा.. तो वो पागल हो उठी। वो ‘आह.. आ.. आहा..’ किए जा रही थी और तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसकी चूत रस से गीली हो गई थी।मैंने एकदम जल्दी से उसकी चूत में उंगली को घुसा दिया और फिर आगे-पीछे करने लगा।उसे बहुत मज़ा आ रहा था।मैंने उससे कहा- अब तुम मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसो।वो बोली- ठीक है।वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।थोड़ी देर बाद मैंने कहा- अब चलो असली मज़ा करते हैं।मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी बुर पर अपना लंड रख दिया। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत में आग लगी हो।मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चूसने लगा.. साथ ही अपने लंड से उसकी चूत में एक ज़ोर का धक्का लगा दिया।मेरा सुपारा चूत में घुस गया और अन्दर किसी जगह अटक गया।वो दर्द से रोने लगी.. पर कुछ बोल नहीं पाई। उसकी आँखें बता रही थीं कि वो मुझसे लंड निकालने की कह रही है।।मैं थोड़ी देर वैसे ही पड़ा रहा और उसके मम्मों को दबाने लगा.. चूसने लगा।वो थोड़ा शांत हुई और अब उसे भी मज़ा आने लगा, वो कमर उठाने लगी।फिर मैंने देर ना करते हुए एक ज़ोर का शॉट लगा दिया, मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया और वो छटपटाने लगी.. आँसू बहाने लगी।मैंने उसे नहीं छोड़ा.. बस रुक गया और उसके होंठ चूसने लगा चूचियों को चूसने लगा। उसे थोड़ी देर बाद आराम मिला और वो कमर उठाने लगी।फिर मैंने उसे कहा- अब करूँ?उसने कहा- जब मना किया.. तब तो आपने सुना ही नहीं.. अब तो आपने मेरी चूत फाड़ ही दी.. अब क्या पूछना?मैं उसकी मासूमियत पर हँस पड़ा और उसे चोदने लगा।मेरे हर शॉट पर वो कराह जाती.. बोलती- धीरे कीजिए बहुत दर्द हो रहा है।मैं ज़ोर-ज़ोर से चोदे जा रहा था, वो अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई थी, अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी।मैंने कहा- घोड़ी बन जाओ।वो बन गई.. मैं पीछे से चूत चोदने लगा, वो ‘आह.. अया.. आह आ..’ कर रही थी।अब मेरा निकलने वाला था। मैंने कहा- मेरा माल निकलने वाला है।उसने कहा- मेरा भी.. तुम करते रहो।मैं ज़ोर-ज़ोर के धक्के लगाता रहा और हम दोनों एक साथ ही झड़ गए। उसने मुझे बांहों में भर लिया और कहा- आज आपने मुझे औरत बना दिया।वो जब उठने लगी.. तो उठ ही नहीं पा रही थी.. और बिस्तर पर भी खून के छींटे लगे थे।मैंने उसे बाथरूम तक पहुँचाया, हम दोनों फ्रेश हुए और कपड़े पहन कर तैयार हुए।उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और कहा- प्रीतम आई लव यू..मैंने भी उसे ‘आई लव यू टू..’ कहा और किस किया।फिर हम दोनों होटल से निकल आए और मैंने उसे उसकी गली में ले जाकर छोड़ा और अगले दिन मिलने का वादा करके चला आया।उससे चला नहीं जा रहा था, मैं उसे जाते हुए देखता रहा.. फिर मैं आ गया।दोस्तो, यह मेरी सच्ची हिंदी सेक्स कहानी है आप लोगों को कैसी लगी अपने मन की बात जरूर बताइए।[email protected]
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