यूक्रेन (Ukraine) पर हमला करने के बाद रूस (Russia) कई देशों के निशाने पर आ चुका है. रूस के इस कदम की खूब आलोचना हो रही है. इतना ही नहीं,सेरूसकापत्तासाफहोनेपरआनंद्रमहिंद्रानेकियान्यूक्लियरबमकाजिक्रऐसाक्यों उसे अमेरिका (US) समेत कई देशों के प्रतिबंधों का भी शिकार होना पड़ा है.अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस को आर्थिक तौर पर दंडित करने के लिए कई उपाय कर रहे हैं, जिनमें इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम स्विफ्ट (SWIFT) से रूस को बाहर करना भी शामिल है. इसे अब तक के प्रतिबंधों में सबसे प्रभावी माना जा रहा है. यह किस कदर प्रभावी है, उसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि दिग्गज उद्योगपति आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने इसकी तुलना न्यूक्लियर बम से कर दी है.आनंद महिंद्रा यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग से हो रहे बदलावों पर लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाले महिंद्रा इस मसले पर कई Tweet कर चुके हैं. ताजा पोस्ट में उन्होंने 2 तस्वीरें साझा की, जिसमें एक तरफ परमाणु बम बरसाते विमान की पुरानी तस्वीर है, तो दूसरी ओर स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम का लोगो(LOGO) लगा है. इसके साथ कैप्शन में उन्होंने लिखा...व्यापक तबाही करने वाले पुराने और नए हथियार. आनंद महिंद्रा ने शांति के महत्व को लेकर आए एक रिप्लाई की सराहना करते हुए लिखा कि इससे बढ़कर कोई और लक्ष्य नहीं हो सकता है.The old—and new—Weapons of Mass Destruction…. इससे पहले जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) ने रूसी परमाणु हथियारों को हाई अलर्ट पर डालने का आदेश दिया, तो आनंद महिंद्रा ने उस कदम की भी आलोचना की. उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के इस आदेश से जुड़ी खबर साझा करते हुए लिखा, 'हम इस ग्रह पर सबसे मूर्ख प्रजाति हैं. हम लगातार और बिना जरूरत के तबाही व मुक्ति के बीच झूलते रहते हैं.'We are the most incredibly stupid species on this planet. We constantly and unnecessarily, walk a tightrope between Disaster & Salvation. स्विफ्ट का पूरा नाम है सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्यूनिकेशन. दूसरे शब्दों में इसे इंटरनेशनल बैंकिंग सिस्टम का WhatsApp कहा जा सकता है. इसे अभी दुनिया भर में 11 हजार से ज्यादा फाइनेंशियल संस्थाएं व कंपनियां इस्तेमाल कर रही हैं. इसे इंटरनेशनल पेमेंट के लिए आज के समय में 200 से ज्यादा देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका इस्तेमाल करने वालों में फेडरल रिजर्व, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ चाइना समेत दुनिया भर के लगभग सारे सेंट्रल बैंक शामिल हैं. इस बात से इसका महत्व समझा जा सकता है.रूस को इस सिस्टम से बाहर किए जाने के बाद एनालिस्ट भारत को भी नुकसान होने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं. रूस के तेल के कुओं में भारत की सरकारी तेल कंपनियां भी कुछ मालिकाना हक रखती हैं. खासकर वोस्तोक प्रोजेक्ट (Vostok Project) में भारतीय कंपनियों की अच्छी-खासी भागीदारी है. जानकारों का कहना है कि रूबल में आई तेज गिरावट से भारतीय कंपनियों को डॉलर टर्म में डिविडेंड का नुकसान होगा. इससे ओएनजीसी (ONGC), ऑयल इंडिया (Oil India), इंडियन ऑयल (Indian Oil) और बीपीसीएल (BPCL) जैसी भारतीय कंपनियों को दिक्कतें होंगी. रूस के सबसे बड़े ऑयलफील्ड में से एक वैंकोर (Vankor Oilfield) में इन कंपनियों की 49.9 फीसदी हिस्सेदारी है. वैंकोर ऑयफीलड के इन्वेस्टर्स को तेल या गैस के बजाय डिविडेंड से ही रिटर्न मिलता है. |
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